बुद्ध पूर्णिमा
गौतम बुद्ध एक महानत्व के व्यक्ति थे जिन्होंने दुनिया को अपने उपदेशों से प्रेरित कर दिया। उन्होंने बौद्ध धर्म का आधार रखा और अपने उपदेशों के माध्यम से मानवता को सफलता और खुशहाली की दिशा में प्रेरित किया।
उनके जीवन का सन्देश आज भी दुनिया में आम आदमी के लिए जीवन के अर्थ को समझने में मददगार है।
गौतम बुद्ध का जन्म लुम्बिनी, नेपाल में हुआ था। वे क्षत्रिय वंश से थे। उनके पिता शुद्धोधन नाम का राजा था। गौतम बुद्ध का जन्म लगभग 2500 वर्ष पहले हुआ था। उन्होंने अपने जीवन का अधिकांश समय में मगध साम्राज्य में व्यतीत किया था।
गौतम बुद्ध ने जीवन में कई महत्वपूर्ण उपलब्धियों की हैं। उन्होंने अपनी जीवन की पूरी विवेचना करके चार पदार्थों का उपदेश दिया - दुःख, उसके कारण, उससे छुटकारा और उसका मार्ग। उनका संदेश था कि धन, सुख, या अन्य मानव चाहतों का भोग अस्थायी होता है |
कुछ
लोग गौतम बुद्ध को भगवान मानते हैं जबकि कुछ उन्हें केवल एक विचारधारा का संस्थापक मानते हैं। गौतम बुद्ध के उपदेशों के आधार पर, बौद्ध धर्म में मानव जीवन में तीन मुख्य तत्व हैं - बुद्ध, धर्म, संघ।
गौतम बुद्ध ने अपनी जीवन के अंतिम दिनों में परम मुक्ति प्राप्त कर ली थी। उनकी जगह अब महापरिनिर्वाण के नाम से जानी जाती है। इस दिन को महापरिनिर्वाण दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह दिन सभी बौद्धों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है।
गौतम बुद्ध की उपदेशों का महत्त्व आज भी हमारे जीवन में अधिक है। उनके उपदेश हमें संतुलित जीवन जीने की और जागरूकता प्रदान करते हैं। उन्होंने अपनी जीवन के उद्देश्य को पूरा कर दिखाया कि जब तक हम दुःख से मुक्त नहीं होते हैं, हम जीवन में खुशहाली नहीं प्राप्त कर सकते।
गौतम बुद्ध एक महानत्व के व्यक्ति थे जिन्होंने दुनिया को अपने उपदेशों से प्रेरित कर दिया। यह पूर्णिमा वैशाख मास की पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है जो अप्रैल या मई के महीने में पड़ती है।
बुद्ध पूर्णिमा के दिन बौद्ध धर्म के अनुयायी भगवान बुद्ध के जन्म, बोधि और महापरिनिर्वाण की याद में इसे मनाते हैं। यह दिन उनके जीवन में कुछ ऐसे अहम कार्यक्रमों के लिए भी जाना जाता है जिनसे बौद्ध धर्म के अनुयायी भी अवगत होते हैं।
बुद्ध पूर्णिमा का महत्व काफी गहरा है। इस दिन के महत्व के पीछे धार्मिक एवं ऐतिहासिक घटनाओं का विस्तृत इतिहास होता है। बुद्ध का जन्म नेपाल के लुम्बिनी में हुआ था जहां उनकी माता ने उन्हें जन्म दिया था। उन्होंने चारों ओर के दुःखों के साथ निपटने के लिए बहुत समय तक ध्यान और तपस्या की थी और फिर एक दिन उन्हें बोधि की प्राप्ति हुई थी।
बुद्ध
पूर्णिमा के अवसर पर, धर्म के अनुयायी भगवान बुद्ध को श्रद्धांजलि देते हुए, उन्हें याद करते हैं और उनके उपदेशों और मार्गदर्शन से प्रेरणा लेते हैं। इस दिन के अवसर पर धार्मिक कार्यक्रम और भजन-कीर्तन किये जाते हैं और अपने घरों को साफ-सुथरे रखकर पूजा-अर्चना करते हैं।
बुद्ध पूर्णिमा का महत्व अधिकतर देशों में महसूस किया जाता है जहां बौद्ध धर्म के अनुयायी बहुतायत में होते हैं। वहीं भारत में भी बुद्ध पूर्णिमा को बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। साथ ही यह पूर्णिमा अनेक देशों में अधिकतर लोगों द्वारा मनाया जाता है जहां बौद्ध धर्म के अनुयायी होते हैं।
बुद्ध
पूर्णिमा के दिन बौद्ध धर्म के अनुयायी धर्मशालाओं में सभाएं आयोजित करते हैं। इस दिन विशेष पूजा-अर्चना के अलावा धर्म गुरुओं द्वारा बौद्ध धर्म के महत्वपूर्ण विषयों पर व्याख्यान दिए जाते हैं। अधिकांश स्थानों पर बुद्ध पूर्णिमा के दिन बौद्ध मंदिरों की सफाई करने के लिए वॉलंटियर भी जुटाए जाते हैं।
इस दिन भोजन वितरण भी किया जाता है। बहुत से लोग बुद्ध पूर्णिमा के दिन अपने घरों से निकलकर सड़कों पर आध्यात्मिक गीतों के साथ शांति और प्रेम का संदेश फैलाते हुए बौद्ध मंदिरों तक बढ़ते हुए देखे जाते हैं।
बुद्ध पूर्णिमा के दिन शांति और सहजता का महापर्व मनाया जाता है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि शांति और समझदारी के साथ हम समाज में जीवन जीते हैं। इस दिन के द्वारा हम यह भी समझते हैं कि जीवन के लिए न केवल स्वास्थ्य बल्कि ज्ञान और आध्यात्मिकता भी ज़रूरी होती है।